पल पल सजा जिन्दगी का धार|
हंसोहंसाओ और मुस्कुराओ
करो जीवन का सोलह सिंगार|
झूम के गाओ नाचो
ये जीवन है राग मल्हार|
पतझर में न उदास हो
आगे फिर है मौसम बहार|
pravinkarn.wordpress.com
पल पल सजा जिन्दगी का धार|
हंसोहंसाओ और मुस्कुराओ
करो जीवन का सोलह सिंगार|
झूम के गाओ नाचो
ये जीवन है राग मल्हार|
पतझर में न उदास हो
आगे फिर है मौसम बहार|
pravinkarn.wordpress.com
तुलसीदास अति आनंद
देख कर मुखारबिंद
रघुबर के छबि समान
रघुबर छबि बनिया।।
राम नवमी के सुभकामना।
तुलसीदास अति आनंद
देख कर मुखारबिंद
रघुबर के छबि समान
रघुबर छबि बनिया।।
राम नवमी के सुभकामना।
दुईटै चहियेन।।
गणतंत्र जिंदाबाद।
दुईटै चहियेन।।
गणतंत्र जिंदाबाद।
फूल हरू झर्छन
हँगा हरू रुदैंनन
फूल फुलाई रहन्छन।
झरेका फूल हरु रुदैंनन
बसना फ़िज़ाई रहन्छन।
म भित्र म
फुल्छु र झड़छु
फेरी
झड़छु र फुल्छु
बासना फ़िज़ाई रह्ननछु।
Date : 30.08.2024
मिति: २०८१/05/१४ बिक्रम सम्बबत
pravinkarn.wordpress.com/2024/08/30/%...
फूल हरू झर्छन
हँगा हरू रुदैंनन
फूल फुलाई रहन्छन।
झरेका फूल हरु रुदैंनन
बसना फ़िज़ाई रहन्छन।
म भित्र म
फुल्छु र झड़छु
फेरी
झड़छु र फुल्छु
बासना फ़िज़ाई रह्ननछु।
Date : 30.08.2024
मिति: २०८१/05/१४ बिक्रम सम्बबत
pravinkarn.wordpress.com/2024/08/30/%...
मैने नही पुछा कभी
माँ क्या चाहती है
किस बात कि उसे है खुसि
क्या बात उसे रुलाती है,
बस मै करता रह बखान
मुझे क्या चाहिए
रोटि कैसी हो
मुझे सब्जी मे नामक कितना लगेगा
मैने नही पुछा कभी
माँ क्या चाहती है
आज जागते हुए चाहा जानना
माँ को
उसकी हर चाहत को
खुसि को दुःख को
सपनो को
कितना अजीब लगता है
सोचना की माँ क्या चाहती है?
pravinkarn.wordpress.com/2024/05/10/%...
मैने नही पुछा कभी
माँ क्या चाहती है
किस बात कि उसे है खुसि
क्या बात उसे रुलाती है,
बस मै करता रह बखान
मुझे क्या चाहिए
रोटि कैसी हो
मुझे सब्जी मे नामक कितना लगेगा
मैने नही पुछा कभी
माँ क्या चाहती है
आज जागते हुए चाहा जानना
माँ को
उसकी हर चाहत को
खुसि को दुःख को
सपनो को
कितना अजीब लगता है
सोचना की माँ क्या चाहती है?
pravinkarn.wordpress.com/2024/05/10/%...
Writing is an act of creation.
Writing is an act of salvation.
Writing is an act of exploration.
Writing is an act of emotion.
Writing is an act of confession.
Writing is an act of speculation.
Writing is an act of reflection.
Keep writing.
Writing is an act of creation.
Writing is an act of salvation.
Writing is an act of exploration.
Writing is an act of emotion.
Writing is an act of confession.
Writing is an act of speculation.
Writing is an act of reflection.
Keep writing.
मेरे गाउँ को सड़कें आती नही।
तभी तो
सिंदूरी सपने सजोये
गाउँ से जाते लोग
फिर लौट नही पाते।।
pravinkarn.wordpress.com/2023/04/13/%...
मेरे गाउँ को सड़कें आती नही।
तभी तो
सिंदूरी सपने सजोये
गाउँ से जाते लोग
फिर लौट नही पाते।।
pravinkarn.wordpress.com/2023/04/13/%...
शब्द संगीत के रचना में
तुझ को मैं नही समा पाता हूँ,
लघु है मन मस्तिष्क मेरा
तुझ को मैं अनन्त पाता हूँ।
गढू किस मिट्टी से तेरा मूरत
कैसे उतारूँ तेरा सूरत,
मैं कल्पना के सागर में निरन्तर गोता लगाता हूँ
तुझ को मैं अकल्पनीय पाता हूं।
मीत मेरे मन मीत मेरे।
गाऊं कौन सा गान
लगाऊं कौन सुर तान,
कैसे पहचाऊं आवाज तुम तक
तुझ को असाध्य पाता हूँ।
1/2
pravinkarn.wordpress.com/2017/01/07/g...
शब्द संगीत के रचना में
तुझ को मैं नही समा पाता हूँ,
लघु है मन मस्तिष्क मेरा
तुझ को मैं अनन्त पाता हूँ।
गढू किस मिट्टी से तेरा मूरत
कैसे उतारूँ तेरा सूरत,
मैं कल्पना के सागर में निरन्तर गोता लगाता हूँ
तुझ को मैं अकल्पनीय पाता हूं।
मीत मेरे मन मीत मेरे।
गाऊं कौन सा गान
लगाऊं कौन सुर तान,
कैसे पहचाऊं आवाज तुम तक
तुझ को असाध्य पाता हूँ।
1/2
pravinkarn.wordpress.com/2017/01/07/g...
अन्न से बिज होने का सफर
के लिए होना पड़ता है जमिंदोज
बिख्ड़ना पड़ता है मिट्टी मे
दब के मिट्टी तले हि
अङ्कुरित होते हैं
प्राण
बिखरना
सिर्फ सर्बनाश नही
नब जीवन भी है।
: प्रविण कुमार कर्ण
: Pravin Kumar Karn
मिति : २०८१ - ०८ - ०५ (बिक्रम सम्बत)
Date: 20.11.2024
pravinkarn.wordpress.com/2024/11/21/l...
अन्न से बिज होने का सफर
के लिए होना पड़ता है जमिंदोज
बिख्ड़ना पड़ता है मिट्टी मे
दब के मिट्टी तले हि
अङ्कुरित होते हैं
प्राण
बिखरना
सिर्फ सर्बनाश नही
नब जीवन भी है।
: प्रविण कुमार कर्ण
: Pravin Kumar Karn
मिति : २०८१ - ०८ - ०५ (बिक्रम सम्बत)
Date: 20.11.2024
pravinkarn.wordpress.com/2024/11/21/l...
नदी के दो किनारे
अगर मिल जाये तो?
तो मिट जायेगा अस्तित्व
नदी और किनारे दोनों की
और
हो जाएगी अनाथ
नदी की कोख का पानी
किनारे के बंधन से मुक्त
निकल परेगी
अनजानी अनदेखी राहोंपे
भटकने के लिए
इसलिए जरुरी है
किनारे कभी न मिले
हमेश हमेशा के लिए|
pravinkarn.wordpress.com/2010/04/10/1...
नदी के दो किनारे
अगर मिल जाये तो?
तो मिट जायेगा अस्तित्व
नदी और किनारे दोनों की
और
हो जाएगी अनाथ
नदी की कोख का पानी
किनारे के बंधन से मुक्त
निकल परेगी
अनजानी अनदेखी राहोंपे
भटकने के लिए
इसलिए जरुरी है
किनारे कभी न मिले
हमेश हमेशा के लिए|
pravinkarn.wordpress.com/2010/04/10/1...
breaknlinks.com/nepali/news/...
#rsp #rabilamichhane #chhabilaljoshi #chitwanpolice #
नदियाँ
समुन्दर से नही मांगती हिसाब
अपने पानी का,
फिर मैं कैसे मांग लूँ तुमसे
प्रेम के बदले प्रेम।
मैं पहाड़ो से झरता हुवा
पत्थरों से टकराता हुवा
जंगलो से भटकता हुवा
मिट्टी से सने मटमैला
मिल जाऊंगा तुममे,
या कोई रेगिस्तान सोख लेगी
मेरा अस्तित्व बाट में ही
और हो जाऊंगा बिदा खामोशी से ।
#poetry #hindi
नदियाँ
समुन्दर से नही मांगती हिसाब
अपने पानी का,
फिर मैं कैसे मांग लूँ तुमसे
प्रेम के बदले प्रेम।
मैं पहाड़ो से झरता हुवा
पत्थरों से टकराता हुवा
जंगलो से भटकता हुवा
मिट्टी से सने मटमैला
मिल जाऊंगा तुममे,
या कोई रेगिस्तान सोख लेगी
मेरा अस्तित्व बाट में ही
और हो जाऊंगा बिदा खामोशी से ।
#poetry #hindi