CA PRAVIN KUMAR KARN
banner
karnpravin.bsky.social
CA PRAVIN KUMAR KARN
@karnpravin.bsky.social
Chartered Accountant
2/2

मीत मेरे मन मीत मेरे।

अनन्त तुम हो, सुछम भी तुम हो
सागर तुम हो, बून्द भी तुम हो,
काब्य महाकाब्य तुम हो, पूर्ण विराम बिंदु भी तुम हो
समस्त शास्त्र सुर तान तुम हो, निर्बल का आवाज भी तुम हो।

मीत मेरे मन मीत मेरे,

मेरे लघुता में तु सुछ्म बन के बस
शब्द बन के मेरे, रचना तु रच

मीत मेरे मन मीत मेरे।

pravinkarn.wordpress.com/2017/01/07/g...
मीत मेरे मन मीत मेरे। By: Pravin Kumar karn
मीत मेरे मन मीत मेरे। शब्द संगीत के रचना में तुझ को मैं नही समा पाता हूँ, लघु है मन मस्तिष्क मेरा तुझ को मैं अनन्त पाता हूँ। गढू किस मिट्टी से तेरा मूरत कैसे उतारूँ तेरा सूरत, मैं कल्पना के सागर मे…
pravinkarn.wordpress.com
November 25, 2024 at 7:37 AM