आवरण चेहरे का कब हटाता है आईना..
'वो' जब चाहें तब संवर जाती हूँ मैं,
आरज़ू दिल की कब दिखाता है आईना..!!
~कनु
#writingcommunity
आवरण चेहरे का कब हटाता है आईना..
'वो' जब चाहें तब संवर जाती हूँ मैं,
आरज़ू दिल की कब दिखाता है आईना..!!
~कनु
#writingcommunity
अश्कों को आँखों में सहेजे बैठा हूँ..
हो न जाए समंदर शर्मिंदा.. तो,
ज़लज़ला दिल ही में छुपाये बैठा हूँ
~कनु
अश्कों को आँखों में सहेजे बैठा हूँ..
हो न जाए समंदर शर्मिंदा.. तो,
ज़लज़ला दिल ही में छुपाये बैठा हूँ
~कनु
पर निशां अपने वज़ूद के क्यूँ मिटा न गए...!
रहते हैं अब ये किस गुमाँ में हम,
जाते हुए हस्ती मेरी क्यूँ फ़ना कर न गए...!
न रही कोई तमन्ना इस दिल में बाकी कोई,
खाली से इस मकां को तुम क्यूँ गिरा न गए..!!
~कनु
#writerscommunity
#writingcommunity
पर निशां अपने वज़ूद के क्यूँ मिटा न गए...!
रहते हैं अब ये किस गुमाँ में हम,
जाते हुए हस्ती मेरी क्यूँ फ़ना कर न गए...!
न रही कोई तमन्ना इस दिल में बाकी कोई,
खाली से इस मकां को तुम क्यूँ गिरा न गए..!!
~कनु
#writerscommunity
#writingcommunity
पलकों के पीछे जो सिमट कर रह गया ,,
एक टुकड़ा वो ग़म का मेरे हृदय को मथ गया ,
और ख़ामोश चीखें मेरी ये आँगन सह गया ...!!
~कनु
#WritingCommunity
पलकों के पीछे जो सिमट कर रह गया ,,
एक टुकड़ा वो ग़म का मेरे हृदय को मथ गया ,
और ख़ामोश चीखें मेरी ये आँगन सह गया ...!!
~कनु
#WritingCommunity
वो खाली कोना है
जहाँ हमारा मौन चीखता है
उदासी वो बाँध है
जो बना है हमारी आँखों पर
रोक लेने को सैलाब दरिया का
उदासी वो गहना है
जिसे पहनता है हर प्रेमी
अपने प्रियतम की जुदाई पर
उदासी वो पवित्र प्रार्थना है
जिसे दोहराता है जीव मात्र
आराध्य के समक्ष अपनी बेबसी पर
उदासी माँ की वो गोद है
जहाँ चुप्पियाँ लोरी गाती हैं
और सहलाती है खुद की आत्मा....!!
~कनु
वो खाली कोना है
जहाँ हमारा मौन चीखता है
उदासी वो बाँध है
जो बना है हमारी आँखों पर
रोक लेने को सैलाब दरिया का
उदासी वो गहना है
जिसे पहनता है हर प्रेमी
अपने प्रियतम की जुदाई पर
उदासी वो पवित्र प्रार्थना है
जिसे दोहराता है जीव मात्र
आराध्य के समक्ष अपनी बेबसी पर
उदासी माँ की वो गोद है
जहाँ चुप्पियाँ लोरी गाती हैं
और सहलाती है खुद की आत्मा....!!
~कनु
चाँदनी चहक रही थी..
चाँद से बिछुड़ी थी मग़र,
प्रेम को महकते देख रही थी..
चाँद ने मुस्कराकर चाँदनी को देखा,
दास्तान ए मोहब्बत उनकी नया रंग ले रही थी...❣️
~कनु
#writingcommunity
चाँदनी चहक रही थी..
चाँद से बिछुड़ी थी मग़र,
प्रेम को महकते देख रही थी..
चाँद ने मुस्कराकर चाँदनी को देखा,
दास्तान ए मोहब्बत उनकी नया रंग ले रही थी...❣️
~कनु
#writingcommunity
अश्रु के दो फूल चढ़ा आती हूँ,,
तेरे इश्क़ के सदके जान,
मैं सज़दा रोज कर आती हूँ...
वो कलियां जो कभी खिल न सकीं,
मुरझाई रहीं बेरुखी से तेरी,,
तेरी रहमत से अब जो जल बरसे,
उसी से मैं रोज़ सींच कर आती हूँ...
यादों की सुनहरी धूप कभी,
जो छनकर झरोखे से आती है,,
बैठकर समय की कश्ती में,
मैं कल का फ़ेरा कर आती हूँ...
+1
अश्रु के दो फूल चढ़ा आती हूँ,,
तेरे इश्क़ के सदके जान,
मैं सज़दा रोज कर आती हूँ...
वो कलियां जो कभी खिल न सकीं,
मुरझाई रहीं बेरुखी से तेरी,,
तेरी रहमत से अब जो जल बरसे,
उसी से मैं रोज़ सींच कर आती हूँ...
यादों की सुनहरी धूप कभी,
जो छनकर झरोखे से आती है,,
बैठकर समय की कश्ती में,
मैं कल का फ़ेरा कर आती हूँ...
+1