Will follow back
अब गूंगा बहरा भी है
होठ सी दिए हैं जनता के,
कानों पर पहरा भी है |
तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे,
किसको क्या समझायेंगे?
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आयंगे |
~ पुष्यमित्र उपाध्याय
अब गूंगा बहरा भी है
होठ सी दिए हैं जनता के,
कानों पर पहरा भी है |
तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे,
किसको क्या समझायेंगे?
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आयंगे |
~ पुष्यमित्र उपाध्याय