जुल्फ़ों से, कैसे जुल्फ़ों से
तेरी छुपती प्यारी-प्यारी सी मुस्कान है
और नज़रें झुकी, और नज़रें उठी
तो मैं क्या ही करूँ? बर्बाद मैं
जुल्फ़ों से, कैसे जुल्फ़ों से
तेरी छुपती प्यारी-प्यारी सी मुस्कान है
और नज़रें झुकी, और नज़रें उठी
तो मैं क्या ही करूँ? बर्बाद मैं