बिलकुल नहीं बची
यह ताक़त पहले भी नहीं थी
दुःख कह देने की थोड़ी सी ताक़त है
कोई नहीं आने वाले के इस
इंतज़ार की ताक़त नहीं
अकेले रहने की ताक़त बची है.
- विनोद कुमार शुक्ल 🍂
बिलकुल नहीं बची
यह ताक़त पहले भी नहीं थी
दुःख कह देने की थोड़ी सी ताक़त है
कोई नहीं आने वाले के इस
इंतज़ार की ताक़त नहीं
अकेले रहने की ताक़त बची है.
- विनोद कुमार शुक्ल 🍂
तुम्हारे
इर्द गिर्द रहेगा
दुःख, भीतर...
तुम्हारे
इर्द गिर्द रहेगा
दुःख, भीतर...
For every storm, a rainbow,
For every tear, a smile,
For every care, a promise,
And a blessing in each trial.
For every problem life sends,
A faithful friend to share,
For every sigh, a sweet song,
And an answer for each prayer.
( Coelho, "Hippie")
For every storm, a rainbow,
For every tear, a smile,
For every care, a promise,
And a blessing in each trial.
For every problem life sends,
A faithful friend to share,
For every sigh, a sweet song,
And an answer for each prayer.
( Coelho, "Hippie")
the essence of who I really am, speaks in a whisper, and I'm slowly learning how to be quiet and listen.
…Still small voice.
- J. Warren Welch
the essence of who I really am, speaks in a whisper, and I'm slowly learning how to be quiet and listen.
…Still small voice.
- J. Warren Welch
मैं इक नौ जाइदा बच्चा
ये पेड़ों के क़बीले
उठ के हाथ में मुझ को झुलाते हैं ..
-गुलज़ार
मैं इक नौ जाइदा बच्चा
ये पेड़ों के क़बीले
उठ के हाथ में मुझ को झुलाते हैं ..
-गुलज़ार
कुछ कपड़ा-लत्ता लेना हो, सो जल्दी बांध संभल निकलो
क्यों नाहक धूप चढ़ाते हो, बस ठंडे-ठंडे चल निकलो
तन सूखा, कुबड़ी पीठ हुई, घोड़े पर ज़ीन धरो बाबा
अब मौत नक़ारा बाज चुका, चलने की फ़िक्र करो बाबा।
- नज़ीर
कुछ कपड़ा-लत्ता लेना हो, सो जल्दी बांध संभल निकलो
क्यों नाहक धूप चढ़ाते हो, बस ठंडे-ठंडे चल निकलो
तन सूखा, कुबड़ी पीठ हुई, घोड़े पर ज़ीन धरो बाबा
अब मौत नक़ारा बाज चुका, चलने की फ़िक्र करो बाबा।
- नज़ीर
कुछ कपड़ा-लत्ता लेना हो, सो जल्दी बांध संभल निकलो
क्यों नाहक धूप चढ़ाते हो, बस ठंडे-ठंडे चल निकलो
तन सूखा, कुबड़ी पीठ हुई, घोड़े पर ज़ीन धरो बाबा
अब मौत नक़ारा बाज चुका, चलने की फ़िक्र करो बाबा।
- नज़ीर
कुछ कपड़ा-लत्ता लेना हो, सो जल्दी बांध संभल निकलो
क्यों नाहक धूप चढ़ाते हो, बस ठंडे-ठंडे चल निकलो
तन सूखा, कुबड़ी पीठ हुई, घोड़े पर ज़ीन धरो बाबा
अब मौत नक़ारा बाज चुका, चलने की फ़िक्र करो बाबा।
- नज़ीर
एक दिन मैं तुम्हारे साथ रहूंगा
दूसरे दिन तुम मेरे साथ रहना...
【विनोद कुमार शुक्ल】
एक दिन मैं तुम्हारे साथ रहूंगा
दूसरे दिन तुम मेरे साथ रहना...
【विनोद कुमार शुक्ल】
मगध से आया हूँ
मगध मुझे जाना है
किधर मुड़ूँ उत्तर के दक्षिण
या पूर्व के पश्चिम में?
लो, वह दिखाई पड़ा मगध, लो, वह अदृश्य -
कल ही तो मगध मैंने
छोड़ा था
कल ही तो कहा था
मगधवासियों ने
मगध मत छोड़ो
मैंने दिया था वचन
सूर्योदय के पहले लौट आऊँगा
न मगध है, न मगध
तुम भी तो मगध को ढूँढ़ रहे हो
बंधुओ,
यह वह मगध नहीं
तुमने जिसे पढ़ा है
किताबों में,
यह वह मगध है
जिसे तुम मेरी तरह गँवा चुके हो।
मगध से आया हूँ
मगध मुझे जाना है
किधर मुड़ूँ उत्तर के दक्षिण
या पूर्व के पश्चिम में?
लो, वह दिखाई पड़ा मगध, लो, वह अदृश्य -
कल ही तो मगध मैंने
छोड़ा था
कल ही तो कहा था
मगधवासियों ने
मगध मत छोड़ो
मैंने दिया था वचन
सूर्योदय के पहले लौट आऊँगा
न मगध है, न मगध
तुम भी तो मगध को ढूँढ़ रहे हो
बंधुओ,
यह वह मगध नहीं
तुमने जिसे पढ़ा है
किताबों में,
यह वह मगध है
जिसे तुम मेरी तरह गँवा चुके हो।
एक एहसास की तरह 🍃
एक एहसास की तरह 🍃
कि किसी को चाहने से कोई अपना नहीं होता.
कि किसी को चाहने से कोई अपना नहीं होता.