26 जनवरी के इस अवसर पर परमात्मा के संपूर्ण संविधान को जानने के लिए संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित "ज्ञान गंगा" पुस्तक निःशुल्क प्राप्त करें। 📚
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#26January #republic #republicday
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गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में मोक्ष के लिए ॐ तत् सत् का जाप करने का निर्देश है जिसमें ॐ(क्षर पुरूष) तत्(अक्षर पुरुष) व सत्(परम अक्षर ब्रह्म) का जाप है जिसमें तत् व सत् सांकेतिक हैं जिन्हें केवल तत्वदर्शी संत ही बता सकता है।
Tattvadarshi Sant Rampal Ji
गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में मोक्ष के लिए ॐ तत् सत् का जाप करने का निर्देश है जिसमें ॐ(क्षर पुरूष) तत्(अक्षर पुरुष) व सत्(परम अक्षर ब्रह्म) का जाप है जिसमें तत् व सत् सांकेतिक हैं जिन्हें केवल तत्वदर्शी संत ही बता सकता है।
Tattvadarshi Sant Rampal Ji
कुरान में वर्णित ’’अैन‘‘ यह अरबी भाषा का अक्षर है, देवनागरी में हिन्दी भाषा का ‘‘अ’’ है तथा ‘‘सीन’’ यह अरबी भाषा की वर्णमाला का अक्षर है जो देवनागरी में हिन्दी भाषा का ‘‘स’’ है तथा ‘‘काफ’’ यह अरबी वर्णमाला का अक्षर है, देवनागरी में हिन्दी भाषा का ‘‘क’’ है।
जैसे ओम् (ॐ) मंत्र का पहला अक्षर वर्णमाला का ‘‘अ’’ है। इसलिए ’’अैन‘‘ अक्षर ’’ओम्‘‘ का सांकेतिक ह
कुरान में वर्णित ’’अैन‘‘ यह अरबी भाषा का अक्षर है, देवनागरी में हिन्दी भाषा का ‘‘अ’’ है तथा ‘‘सीन’’ यह अरबी भाषा की वर्णमाला का अक्षर है जो देवनागरी में हिन्दी भाषा का ‘‘स’’ है तथा ‘‘काफ’’ यह अरबी वर्णमाला का अक्षर है, देवनागरी में हिन्दी भाषा का ‘‘क’’ है।
जैसे ओम् (ॐ) मंत्र का पहला अक्षर वर्णमाला का ‘‘अ’’ है। इसलिए ’’अैन‘‘ अक्षर ’’ओम्‘‘ का सांकेतिक ह
#हे_भोलेइंसान_आंखों_देखलेभगवान (भाग-5) | #FactFulDebates YoutubeChannelपर #sanatani #shorts #reels #सनातनी_पूजा_के_पतन_की_कहानी #shiva #Ram #ramcharitmanas #GitaGyan #vedas #hindu
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#MustListenSatsang
पवित्र गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में वर्णित पूर्ण परमात्मा के सांकेतिक मंत्र "ॐ, तत्, सत्" को पूर्ण संत से प्राप्त करके सतभक्ति करने से परमात्मा की प्राप्ति होगी और वर्तमान में इन मंत्रों को देने के एकमात्र अधिकारी पूर्ण संत, सतगुरु रामपाल जी महाराज हैं।
#MustListenSatsang
पवित्र गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में वर्णित पूर्ण परमात्मा के सांकेतिक मंत्र "ॐ, तत्, सत्" को पूर्ण संत से प्राप्त करके सतभक्ति करने से परमात्मा की प्राप्ति होगी और वर्तमान में इन मंत्रों को देने के एकमात्र अधिकारी पूर्ण संत, सतगुरु रामपाल जी महाराज हैं।
💬 कुरुक्षेत्र के मैदान जैसी तगड़ी बहस, जानें गीता के गहरे रहस्य।
📖 धर्म, ज्ञान और तर्क का संगम।
⏰ देखिए आज दोपहर 12 बजे, केवल Factful Debates चैनल पर।
Channel Link:- bit.ly/3Zw5KGA
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समर्पण
गुरू जी से उपदेश लेने के पश्चात् समर्पण कर देना चाहिए। मन में अभिमान नहीं रखना चाहिए। मन में अभिमान रखकर भक्ति करने का नाटक करने वाले अनेकों मूर्ख अपना मानव जीवन नष्ट कर गए।
अधिक जानकारी के लिए देखिए संत रामपाल जी महाराज यूट्यूब चैनल पर
#GodMorningSaturday
समर्पण
गुरू जी से उपदेश लेने के पश्चात् समर्पण कर देना चाहिए। मन में अभिमान नहीं रखना चाहिए। मन में अभिमान रखकर भक्ति करने का नाटक करने वाले अनेकों मूर्ख अपना मानव जीवन नष्ट कर गए।
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#सुख_देने_वाला_भगवान_कौन
SantRampalJiMaharaj
🫴🏻 अब संत रामपाल जी महाराज जी के मंगल प्रवचन प्रतिदिन सुनिए.
🏵️ साधना टी. वी. पर शाम 7:30 से 8:30 तक
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त्रेतायुग में कबीर साहेब ने मुनींद्र ऋषि रूप में एक पहाड़ी के आस-पास रेखा खींचकर सभी पत्थर हल्के कर दिये थे। फिर बाद में उन पत्थरों को तराशकर समुद्र पर रामसेतु पुल का निर्माण किया गया था।
इस पर धर्मदास जी ने कहा हैं :-
"रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरू से करी पुकार।जा सत रेखा लिखी अपार, सिन्धु पर शिला तिराने वाले।धन-धन सतगुरु सत कबीर, भक्त की पीर मिटाने वाले।"
त्रेतायुग में कबीर साहेब ने मुनींद्र ऋषि रूप में एक पहाड़ी के आस-पास रेखा खींचकर सभी पत्थर हल्के कर दिये थे। फिर बाद में उन पत्थरों को तराशकर समुद्र पर रामसेतु पुल का निर्माण किया गया था।
इस पर धर्मदास जी ने कहा हैं :-
"रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरू से करी पुकार।जा सत रेखा लिखी अपार, सिन्धु पर शिला तिराने वाले।धन-धन सतगुरु सत कबीर, भक्त की पीर मिटाने वाले।"
"सूक्ष्मवेद" के ज्ञान को जानने के लिए अवश्य देखिए Sant Rampal Ji Maharaj Youtube Channel
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===========✓✓✓✓
संत रामपाल जी महाराज के अनुसार
जीवन का अंतिम उद्देश्य केवल और केवल परमात्मा की प्राप्ति है। सतगुरु के मार्गदर्शन में रहते हुए, सच्ची भक्ति और साधना के माध्यम से ही आत्मा को मोक्ष प्राप्त हो सकता है।
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#SantRampalJiMahara
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संत रामपाल जी महाराज के अनुसार
जीवन का अंतिम उद्देश्य केवल और केवल परमात्मा की प्राप्ति है। सतगुरु के मार्गदर्शन में रहते हुए, सच्ची भक्ति और साधना के माध्यम से ही आत्मा को मोक्ष प्राप्त हो सकता है।
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#SantRampalJiMahara
🥥आज से 511 वर्ष पूर्व कबीर परमेश्वर ने तीन दिन "दिव्य धर्म यज्ञ" का आयोजन किया था। जिसमें 18 लाख से अधिक साधु, संतों व लोगों ने मोहन भंडारा किया था। वही इतिहास बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज के सानिध्य में पुनः रचा जा रहा है। 14 से 16 नवंबर 2024 को 11 सतलोक आश्रमों में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में 'दिव्य धर्म यज्ञ दिवस' का आयोजन किया जा रहा है ज
🥥आज से 511 वर्ष पूर्व कबीर परमेश्वर ने तीन दिन "दिव्य धर्म यज्ञ" का आयोजन किया था। जिसमें 18 लाख से अधिक साधु, संतों व लोगों ने मोहन भंडारा किया था। वही इतिहास बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज के सानिध्य में पुनः रचा जा रहा है। 14 से 16 नवंबर 2024 को 11 सतलोक आश्रमों में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में 'दिव्य धर्म यज्ञ दिवस' का आयोजन किया जा रहा है ज
खुल्या भंडारा गैबका, बिन चिट्ठी बिन नाम। गरीबदास मुक्ता तुलै, धन्य केशौ बलि जांव।।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने काशी शहर में तीन दिन तक सभी संप्रदाय के 18 लाख लोगों को, बिना कोई चिठ्ठी - बिना कोई नाम भंडारा करवाया था। वैसे ही आज बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी द्वारा सभी लोगों के लिए तीन दिन तक भंडारे का आयोजन करवाया जा रहा है।
खुल्या भंडारा गैबका, बिन चिट्ठी बिन नाम। गरीबदास मुक्ता तुलै, धन्य केशौ बलि जांव।।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने काशी शहर में तीन दिन तक सभी संप्रदाय के 18 लाख लोगों को, बिना कोई चिठ्ठी - बिना कोई नाम भंडारा करवाया था। वैसे ही आज बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी द्वारा सभी लोगों के लिए तीन दिन तक भंडारे का आयोजन करवाया जा रहा है।
#SaintRampalJi #sanewschannel #podcast
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जानने के लिए देखिए "सनातनी पूजा के पतन की कहानी, संत रामपाल जी महाराज की ज़ुबानी" का पार्ट 1 व 2
⤵️⤵️
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#सनातन_धर्म_महान
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कुरान ज्ञानदाता हज़रत मुहम्मद जी को कहता है की उस जिन्दा अल्लाहु कबीर पर भरोसा रखो जो कभी न मरने वाला है। उसकी महिमा का गुणगान निरंतर करते रहो वह अपने बंदों के गुनाहों का नाश करने वाला है।
प्रमाण- सूरत फुरकान 25 आयत नं: 59
कुरान ज्ञानदाता हज़रत मुहम्मद जी को कहता है की उस जिन्दा अल्लाहु कबीर पर भरोसा रखो जो कभी न मरने वाला है। उसकी महिमा का गुणगान निरंतर करते रहो वह अपने बंदों के गुनाहों का नाश करने वाला है।
प्रमाण- सूरत फुरकान 25 आयत नं: 59
करो। जिनका कोई आधार नहीं, उनका आश्रय वही परमात्मा है। वह परमात्मा निरबानि
यानि पूर्ण मोक्षदायक है, निरबन्ध यानि स्वतन्त्र है। उनके ऊपर किसी की हुकूमत (सत्ता)
नहीं चलती। वह कुल का मालिक है। उसका नाम इस प्रकार सुमरण करो जैसे मीन
(मछली) समुद्र में एक पल भी निश्चल नहीं रहती। उसी प्रकार नाम का स्मरण करते रहो।
परमेश्वर के नाम से ध्यान ऐसे लगाओ
करो। जिनका कोई आधार नहीं, उनका आश्रय वही परमात्मा है। वह परमात्मा निरबानि
यानि पूर्ण मोक्षदायक है, निरबन्ध यानि स्वतन्त्र है। उनके ऊपर किसी की हुकूमत (सत्ता)
नहीं चलती। वह कुल का मालिक है। उसका नाम इस प्रकार सुमरण करो जैसे मीन
(मछली) समुद्र में एक पल भी निश्चल नहीं रहती। उसी प्रकार नाम का स्मरण करते रहो।
परमेश्वर के नाम से ध्यान ऐसे लगाओ
संत गरीबदास जी ने अमरग्रन्थ के अध्याय सरबंगी साक्षी के अंग की वाणी 109 में बताया है :
गरीब, हम सुलतानी नानक तारे, दादू कूं उपदेश दिया। जाति जुलाहा भेद ना पाया, काशी माहें कब
अधिक जानकारी के लिए अवश्य डाउनलोड करें *SANT RAMPAL JI MAHARAJ* app play store से
🫴🏻 अब संत रामपाल जी महाराज जी के मंगल प्रवचन प्रतिदिन सुनिए....
🏵️ साधना टी. वी. पर शाम 7:30 से 8:30 तक
संत गरीबदास जी ने अमरग्रन्थ के अध्याय सरबंगी साक्षी के अंग की वाणी 109 में बताया है :
गरीब, हम सुलतानी नानक तारे, दादू कूं उपदेश दिया। जाति जुलाहा भेद ना पाया, काशी माहें कब
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🏵️ साधना टी. वी. पर शाम 7:30 से 8:30 तक
#सतभक्तिसे_यहांसुख_परलोकमेंसुख
#spiritual #meditation #jaishreeram #radheradhe #krishna #devotion
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दुर्गा जी अर्धकुँवारी नहीं हैं क्योंकि खेमराज श्रीकृष्णदास प्रकाशन, बंबई से प्रकाशित, श्रीमद्देवीभागवत के तीसरे स्कन्ध के अध्याय 5 श्लोक 12 में शंकर जी ने कहा है कि:
रमयसे स्वपतिं पुरुषं सदा तव गतिं न हि विह विद्म शिवे (12)
अनुवाद: हे मात! अपने पति पुरुष अर्थात् काल भगवान के साथ सदा भोग-विलास करती रहती हो। आपकी गति कोई नहीं जानता।
#दुर्गाजीअर्धकुँवारी_है_तो_माता_क्योंकहतेहैं
दुर्गा जी अर्धकुँवारी नहीं हैं क्योंकि खेमराज श्रीकृष्णदास प्रकाशन, बंबई से प्रकाशित, श्रीमद्देवीभागवत के तीसरे स्कन्ध के अध्याय 5 श्लोक 12 में शंकर जी ने कहा है कि:
रमयसे स्वपतिं पुरुषं सदा तव गतिं न हि विह विद्म शिवे (12)
अनुवाद: हे मात! अपने पति पुरुष अर्थात् काल भगवान के साथ सदा भोग-विलास करती रहती हो। आपकी गति कोई नहीं जानता।
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सुरत-फुर्कानि 25 आयत 58: कुरान ज्ञान दाता अल्लाह कह रहा है कि हे पैगम्बर! तारीफ के साथ 'अल्लाह कबीर जी' की पाकी (पवित्र महिमा) का गुणगान किए जा।
#AlKabir_Islamic
#SaintRampalJi
सुरत-फुर्कानि 25 आयत 58: कुरान ज्ञान दाता अल्लाह कह रहा है कि हे पैगम्बर! तारीफ के साथ 'अल्लाह कबीर जी' की पाकी (पवित्र महिमा) का गुणगान किए जा।
#AlKabir_Islamic
#SaintRampalJi
दोनों धर्मों को समझाते हुए सूक्ष्मवेद में कहा गया है कि हिन्दू परमेश्वर के जीवों का गला धीरे-धीरे काटते हैं और मुस्लिम झटके से काटते हैं और इस कार्य को पुण्य बताते हैं लेकिन ये दोनों ही पाप (कुफ़र) कर रहे हैं जिसके लिए इन कसाइयों को नरक में डाला जाएगा।
बात करते हैं पुण्य की,
करते हैं घोर अधर्म।
दोनों दीन नरक में पड़हीं,
कुछ तो करो शर्म।।
Watch Sant RampalJi YouTube
दोनों धर्मों को समझाते हुए सूक्ष्मवेद में कहा गया है कि हिन्दू परमेश्वर के जीवों का गला धीरे-धीरे काटते हैं और मुस्लिम झटके से काटते हैं और इस कार्य को पुण्य बताते हैं लेकिन ये दोनों ही पाप (कुफ़र) कर रहे हैं जिसके लिए इन कसाइयों को नरक में डाला जाएगा।
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📯इस नवरात्रि पर अवश्य जानिये माता दुर्गा को प्रसन्न करने का मूल मंत्र कौनसा है जिससे देवी साधक को मनचाहा लाभ देती है।
जानने के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
#माँ_को_खुश_करनेकेलिए_पढ़ें_ज्ञानगंगा
📯जब ब्रह्मा जी ने वेदों को पढ़ा तो बह्मा जी माता दुर्गा जी से पूछते हैं कि हे माते वेद परमेश्वर कृत हैं, मैंने वेदों में पढ़ा है कि कोई और परम शक्ति है।
उस पूर्ण परमेश्वर की जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
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📯जब ब्रह्मा जी ने वेदों को पढ़ा तो बह्मा जी माता दुर्गा जी से पूछते हैं कि हे माते वेद परमेश्वर कृत हैं, मैंने वेदों में पढ़ा है कि कोई और परम शक्ति है।
उस पूर्ण परमेश्वर की जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
वह परमात्मा पारस पत्थर की तरह अनमोल (बेकीमत) है। उस परमात्मा की प्राप्ति
के लिए शास्त्रविधि रहित नाम यानि राम का जाप शेष नाग जी हजार (संहस्र) मुखों से जप
रहा है। आज तक उनको भी अविनाशी परमात्मा का पार (अंत) नहीं पाया है।
वह परमात्मा पारस पत्थर की तरह अनमोल (बेकीमत) है। उस परमात्मा की प्राप्ति
के लिए शास्त्रविधि रहित नाम यानि राम का जाप शेष नाग जी हजार (संहस्र) मुखों से जप
रहा है। आज तक उनको भी अविनाशी परमात्मा का पार (अंत) नहीं पाया है।