कर प्रणाम तेरे चरणों में लगता हूं अब तेरे काज ।
पालन करने को आज्ञा तब मैं नियुक्त होता हूं आज ॥अन्तर में स्थित रह मेरी बागडोर पकड़े रहना ।
निपट निरंकुश चंचल मन को सावधान करते रहना ॥
अन्तर्यामी को अन्तः स्थित देख सशंकित होवे मन ।
पाप
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कर प्रणाम तेरे चरणों में लगता हूं अब तेरे काज ।
पालन करने को आज्ञा तब मैं नियुक्त होता हूं आज ॥अन्तर में स्थित रह मेरी बागडोर पकड़े रहना ।
निपट निरंकुश चंचल मन को सावधान करते रहना ॥
अन्तर्यामी को अन्तः स्थित देख सशंकित होवे मन ।
पाप
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तू खोजता मुझे था, तब दीन के सदन में ॥तू 'आह' बन किसी की, मुझको पुकारता था ।
मैं था तुझे बुलाता, संगीत में भजन में ॥
मेरे लिए खड़ा था, दुखियों के द्वार पर तू ।
मैं बाट जोहता था, तेरी किसी चमन में ॥
बनकर किसी के आँसू,
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तू खोजता मुझे था, तब दीन के सदन में ॥तू 'आह' बन किसी की, मुझको पुकारता था ।
मैं था तुझे बुलाता, संगीत में भजन में ॥
मेरे लिए खड़ा था, दुखियों के द्वार पर तू ।
मैं बाट जोहता था, तेरी किसी चमन में ॥
बनकर किसी के आँसू,
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मैंने महाकाल की,
दुनिया बदल ही गयी,
दुनिया बदल ही गयी ॥उज्जैन की धरती पे,
बसे महाकाल है,
देते सहारा सबको,
वो कालों के काल है,
है पायी भस्मि जबसे,
मैंने महाकाल की,
दुनिया बदल ही गयी,
दुनिया बदल ही गयी ॥
शिवरात्रि का पर्व है,
उज्जैन धाम
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मैंने महाकाल की,
दुनिया बदल ही गयी,
दुनिया बदल ही गयी ॥उज्जैन की धरती पे,
बसे महाकाल है,
देते सहारा सबको,
वो कालों के काल है,
है पायी भस्मि जबसे,
मैंने महाकाल की,
दुनिया बदल ही गयी,
दुनिया बदल ही गयी ॥
शिवरात्रि का पर्व है,
उज्जैन धाम
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दिया थाली बिच जलता है, ऊपर माँ का भवन बना, नीचे गंगा जल बहता है ॥ दिया थाली बिच जलता है । ऊपर माँ का भवन बना, नीचे गंगा जल बहता है ॥माँ के माथे पे टीका है, माँ की बिंदिया ऐसे चमके, जैसे चाँद चमकता है ॥ दिया थाली बिच जलता है । ऊपर माँ का भवन…
दिया थाली बिच जलता है, ऊपर माँ का भवन बना, नीचे गंगा जल बहता है ॥ दिया थाली बिच जलता है । ऊपर माँ का भवन बना, नीचे गंगा जल बहता है ॥माँ के माथे पे टीका है, माँ की बिंदिया ऐसे चमके, जैसे चाँद चमकता है ॥ दिया थाली बिच जलता है । ऊपर माँ का भवन…
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा, हाथ जोड तेरे द्वार खडे । पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले ज्वाला तेरी भेट धरे ॥ सुन जगदम्बे न कर विलम्बे, संतन के भडांर भरे । संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ॥बुद्धि विधाता तू जग माता,…
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा, हाथ जोड तेरे द्वार खडे । पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले ज्वाला तेरी भेट धरे ॥ सुन जगदम्बे न कर विलम्बे, संतन के भडांर भरे । संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ॥बुद्धि विधाता तू जग माता,…
संकलन : मुकेश शर्मा एक समय की बात है। भगवान बुद्ध एक शहर में प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने प्रवचन के बाद आखिर में कहा, ‘जागो! समय हाथ से निकला जा रहा है।’ इस तरह उस दिन की प्रवचन सभा समाप्त हो गई। सभा के बाद…
संकलन : मुकेश शर्मा एक समय की बात है। भगवान बुद्ध एक शहर में प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने प्रवचन के बाद आखिर में कहा, ‘जागो! समय हाथ से निकला जा रहा है।’ इस तरह उस दिन की प्रवचन सभा समाप्त हो गई। सभा के बाद…
नौ दिन का त्यौहार है आया, ध्यान करो माँ नवदुर्गा का, जिसने जगत बनाया, नौं दिन का त्यौहार है आया, नौं दिन का त्यौहार ॥प्रथम शैलपुत्री की पूजा, ब्रम्हचारणी का दिन दूजा, माँ चंद्रघंटा की सेवा, करके सब सुख पाया, नौं दिन का त्यौहार है आया, नौं…
नौ दिन का त्यौहार है आया, ध्यान करो माँ नवदुर्गा का, जिसने जगत बनाया, नौं दिन का त्यौहार है आया, नौं दिन का त्यौहार ॥प्रथम शैलपुत्री की पूजा, ब्रम्हचारणी का दिन दूजा, माँ चंद्रघंटा की सेवा, करके सब सुख पाया, नौं दिन का त्यौहार है आया, नौं…
महाकवि कालिदास के कंठ में साक्षात् सरस्वती का वास था। शास्त्रार्थ में उन्हें कोई पराजित नहीं कर सकता था। अपार यश, प्रतिष्ठा और सम्मान पाकर एक बार कालिदास को अपनी विद्वत्ता का घमंड हो गया। उन्हें लगा कि उन्होंने विश्व का सारा ज्ञान…
महाकवि कालिदास के कंठ में साक्षात् सरस्वती का वास था। शास्त्रार्थ में उन्हें कोई पराजित नहीं कर सकता था। अपार यश, प्रतिष्ठा और सम्मान पाकर एक बार कालिदास को अपनी विद्वत्ता का घमंड हो गया। उन्हें लगा कि उन्होंने विश्व का सारा ज्ञान…
पार करो मेरा बेडा भवानी, पार करो मेरा बेडा।गहरी नदिया नाव पुरानी, दया करो माँ आद भवानी। सब को आसरा तेरा भावी, पार करो मेरा बेडा॥ मैं निर्गुणीया गुण नहीं कोई, मैया जगादो किस्मत सोई। देखिओ ना गुण मेरा भवानी, पार करो मेरा बेडा॥…
पार करो मेरा बेडा भवानी, पार करो मेरा बेडा।गहरी नदिया नाव पुरानी, दया करो माँ आद भवानी। सब को आसरा तेरा भावी, पार करो मेरा बेडा॥ मैं निर्गुणीया गुण नहीं कोई, मैया जगादो किस्मत सोई। देखिओ ना गुण मेरा भवानी, पार करो मेरा बेडा॥…
एक बार हकीम अजमल खां, डॉ. अंसारी तथा उनके कुछ और मुस्लिम मित्र स्वामी श्रद्धानंद से मिलने गुरुकुल कांगड़ी, हरिद्वार पहुंचे। स्वामीजी ने उनका यथोचित सत्कार किया। फिर उन्होंने अपने एक प्रमुख शिष्य से कहा कि वह…
एक बार हकीम अजमल खां, डॉ. अंसारी तथा उनके कुछ और मुस्लिम मित्र स्वामी श्रद्धानंद से मिलने गुरुकुल कांगड़ी, हरिद्वार पहुंचे। स्वामीजी ने उनका यथोचित सत्कार किया। फिर उन्होंने अपने एक प्रमुख शिष्य से कहा कि वह…
जय माता दी बोल, चली आएगी भवानी, आएगी भवानी चली, आएगी भवानी, जय माता दी बोंल, चली आएगी भवानी ॥बड़ी ही दयालु है ये, बड़ी ही है दानी, बड़ी ही दयालु है ये, बड़ी ही है दानी, जय माता दी बोंल, चली आएगी भवानी ॥ लाल लाल चुनरी है, माँ की निशानी, लाल लाल चुनरी है, माँ की…
जय माता दी बोल, चली आएगी भवानी, आएगी भवानी चली, आएगी भवानी, जय माता दी बोंल, चली आएगी भवानी ॥बड़ी ही दयालु है ये, बड़ी ही है दानी, बड़ी ही दयालु है ये, बड़ी ही है दानी, जय माता दी बोंल, चली आएगी भवानी ॥ लाल लाल चुनरी है, माँ की निशानी, लाल लाल चुनरी है, माँ की…
संकलन: राधा नाचीजभक्त रैदास जाति से चर्मकार थे, किंतु साधु-संतों की बड़ी सेवा करते थे। एक बार एक साधु उनके पास आया। रैदास ने उसे भोजन कराया और अपने बनाए हुए जूते उसे पहनाए। साधु बोला, ‘रैदासजी, मेरे पास एक अनमोल वस्तु है। आप साधु-संतों की सेवा करते…
संकलन: राधा नाचीजभक्त रैदास जाति से चर्मकार थे, किंतु साधु-संतों की बड़ी सेवा करते थे। एक बार एक साधु उनके पास आया। रैदास ने उसे भोजन कराया और अपने बनाए हुए जूते उसे पहनाए। साधु बोला, ‘रैदासजी, मेरे पास एक अनमोल वस्तु है। आप साधु-संतों की सेवा करते…
मैया सुनले मेरी अरदास, सहारा मुझे दे दातिए, मैं भी हार के आया तेरे पास, सहारा मुझे दे दातिए, मैया सुनलें मेरी अरदास, सहारा मुझे दे दातिए ॥कहते है सारे तू है सबका सहारा, तेरे दर आता दुनिया का हर हारा, कहते है सारे तू है सबका सहारा, तेरे दर आता…
मैया सुनले मेरी अरदास, सहारा मुझे दे दातिए, मैं भी हार के आया तेरे पास, सहारा मुझे दे दातिए, मैया सुनलें मेरी अरदास, सहारा मुझे दे दातिए ॥कहते है सारे तू है सबका सहारा, तेरे दर आता दुनिया का हर हारा, कहते है सारे तू है सबका सहारा, तेरे दर आता…
संकलन: रेनू सैनीअक्टूबर की बर्फीली रात थी। अमेरिका में गृहयुद्ध समाप्त हुए कुछ ही समय हुआ था। ऐसी रात में एक बेघर, निर्धन और दुर्बल सी महिला आसरा ढूंढ़ रही थी। किटकिटाते दांत, अकड़ते शरीर को ढकते हुए उसने मदर वेब्स्टर का दरवाजा खटखटाया। मदर…
संकलन: रेनू सैनीअक्टूबर की बर्फीली रात थी। अमेरिका में गृहयुद्ध समाप्त हुए कुछ ही समय हुआ था। ऐसी रात में एक बेघर, निर्धन और दुर्बल सी महिला आसरा ढूंढ़ रही थी। किटकिटाते दांत, अकड़ते शरीर को ढकते हुए उसने मदर वेब्स्टर का दरवाजा खटखटाया। मदर…
ओ मैया मैं तुम्हारा, लगता नहीं कोई, पर जितना किया तुमने, करता नहीं कोई, ओ मईया मैं तुम्हारा, लगता नहीं कोई ॥ जब जब भी दिल मेरा,उदास होता है, तू मेरे पास खड़ी, अहसास होता है, ढूंढा तेरे जैसा माँ, मिलता नहीं कोई ॥ कोई भी…
ओ मैया मैं तुम्हारा, लगता नहीं कोई, पर जितना किया तुमने, करता नहीं कोई, ओ मईया मैं तुम्हारा, लगता नहीं कोई ॥ जब जब भी दिल मेरा,उदास होता है, तू मेरे पास खड़ी, अहसास होता है, ढूंढा तेरे जैसा माँ, मिलता नहीं कोई ॥ कोई भी…
जॉर्ज स्टीफेंसन के माता-पिता माबेल और रॉबर्ट निरक्षर थे। पिता कोयले की खदान में मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते थे। उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वे अपने बच्चे को स्कूल भेज सकें। हमउम्र बच्चों को स्कूल जाते देख…
जॉर्ज स्टीफेंसन के माता-पिता माबेल और रॉबर्ट निरक्षर थे। पिता कोयले की खदान में मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते थे। उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वे अपने बच्चे को स्कूल भेज सकें। हमउम्र बच्चों को स्कूल जाते देख…
जो देना हो तो मईया, उपहार ये देना, तेरी ममता पर थोड़ा, अधिकार दे देना, जो देना हों तों मईया, उपहार ये देना ॥वैसे तो पहले ही, काफी है ये तोहफा, तू है मेरी मैया है, मैं हूँ तेरा बेटा, बेटा का जिस पर हक़ है, वो प्यार दे देना, जो…
जो देना हो तो मईया, उपहार ये देना, तेरी ममता पर थोड़ा, अधिकार दे देना, जो देना हों तों मईया, उपहार ये देना ॥वैसे तो पहले ही, काफी है ये तोहफा, तू है मेरी मैया है, मैं हूँ तेरा बेटा, बेटा का जिस पर हक़ है, वो प्यार दे देना, जो…
संकलन: मनीषा देवीगोपाल भांड बंगाल में नदिया के राजा कृष्णचंद्र के दरबार के नवरत्नों में से थे। वह अपनी सूझ-बूझ और चतुराई से राजा सहित आम जनता की समस्याओं को सुलझाने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। एक बार राजा कृष्णचंद्र की सभा में राज्य के बाहर से एक…
संकलन: मनीषा देवीगोपाल भांड बंगाल में नदिया के राजा कृष्णचंद्र के दरबार के नवरत्नों में से थे। वह अपनी सूझ-बूझ और चतुराई से राजा सहित आम जनता की समस्याओं को सुलझाने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। एक बार राजा कृष्णचंद्र की सभा में राज्य के बाहर से एक…
तेरे दर पे ओ मेरी मईया, तेरे दीवाने आए हैं, भर दे झोली मईया भोली, बिगड़ी बनाने आए हैं, तेरे दर पे ओ मेरी मैया, तेरे दीवाने आए हैं ॥हो जाए करम उसपे जपे, जो तेरी माला, तू चाहे तो खुल जाए, तकदीर का ताला, माँ की ज्योति से, नूर मिलता है, चैन मिलता…
तेरे दर पे ओ मेरी मईया, तेरे दीवाने आए हैं, भर दे झोली मईया भोली, बिगड़ी बनाने आए हैं, तेरे दर पे ओ मेरी मैया, तेरे दीवाने आए हैं ॥हो जाए करम उसपे जपे, जो तेरी माला, तू चाहे तो खुल जाए, तकदीर का ताला, माँ की ज्योति से, नूर मिलता है, चैन मिलता…
सुल्तान जलालुद्दीन हजरत निजामुद्दीन से मिलना चाहते थे। भेंट के लिए सुल्तान ने हजरत निजामुद्दीन से बार-बार इल्तिजा की, लेकिन एक बार भी उन्हें हाजिरी की इजाजत नहीं मिली। हारकर सुल्तान ने निजामुद्दीन के सबसे प्रिय शिष्य अमीर खुसरो को अपने…
सुल्तान जलालुद्दीन हजरत निजामुद्दीन से मिलना चाहते थे। भेंट के लिए सुल्तान ने हजरत निजामुद्दीन से बार-बार इल्तिजा की, लेकिन एक बार भी उन्हें हाजिरी की इजाजत नहीं मिली। हारकर सुल्तान ने निजामुद्दीन के सबसे प्रिय शिष्य अमीर खुसरो को अपने…
संसार ये छूटे चाहे प्राण ये छुटे, जबतक है जिंदगानी, मुझसे माँ नहीं रूठे, माँ नहीं रूठे, संसार यें छूटे चाहे प्राण ये छुटे ॥रहे जबतक ये जिंदगानी, तुम्हारा साथ हो मैया, रहूँ जबतक मैं दुनिया में, ये सिर पर हाथ हो मैया,…
संसार ये छूटे चाहे प्राण ये छुटे, जबतक है जिंदगानी, मुझसे माँ नहीं रूठे, माँ नहीं रूठे, संसार यें छूटे चाहे प्राण ये छुटे ॥रहे जबतक ये जिंदगानी, तुम्हारा साथ हो मैया, रहूँ जबतक मैं दुनिया में, ये सिर पर हाथ हो मैया,…
विवेक शुक्लाइंदर सिंह कोहली 1947 में रावलपिंडी से शरणार्थी के रूप में दिल्ली आए थे। यहां छोटा-मोटा कारोबार करने लगे। काम चलने लगा। कोहलीजी पैसा कमाते और जोड़ते। 1960 में ग्रेटर कैलाश-पार्ट वन में प्लॉट बिक रहे थे। डीएलएफ ने प्लॉट…
विवेक शुक्लाइंदर सिंह कोहली 1947 में रावलपिंडी से शरणार्थी के रूप में दिल्ली आए थे। यहां छोटा-मोटा कारोबार करने लगे। काम चलने लगा। कोहलीजी पैसा कमाते और जोड़ते। 1960 में ग्रेटर कैलाश-पार्ट वन में प्लॉट बिक रहे थे। डीएलएफ ने प्लॉट…
मेरी आखिओं के सामने ही रहना, माँ शेरों वाली जगदम्बे ।हम तो चाकर मैया, तेरे दरबार के, भूखे हैं हम तो मैया, बस तेरे प्यार के॥ विनती हमारी भी, अब करो मंज़ूर माँ, चरणों से हमको कभी, करना ना दूर माँ ॥ मुझे जान के…
मेरी आखिओं के सामने ही रहना, माँ शेरों वाली जगदम्बे ।हम तो चाकर मैया, तेरे दरबार के, भूखे हैं हम तो मैया, बस तेरे प्यार के॥ विनती हमारी भी, अब करो मंज़ूर माँ, चरणों से हमको कभी, करना ना दूर माँ ॥ मुझे जान के…
संकलन: स्वाति आहूजाबात 1902 की है। अल्बर्ट आइंस्टाइन ने स्विट्जरलैंड के शहर बर्न के पेटेंट ऑफिस में बतौर क्लर्क काम शुरू किया। ऑफिस में तकनीकी आविष्कारों का लेखा-जोखा रखा जाता था। कोई नया इंजन बनाता, कोई…
संकलन: स्वाति आहूजाबात 1902 की है। अल्बर्ट आइंस्टाइन ने स्विट्जरलैंड के शहर बर्न के पेटेंट ऑफिस में बतौर क्लर्क काम शुरू किया। ऑफिस में तकनीकी आविष्कारों का लेखा-जोखा रखा जाता था। कोई नया इंजन बनाता, कोई…
संकलन: दीनदयाल मुरारकास्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एक मेहनती छात्र था हरबर्ट। एक वक्त आया जब उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई। पढ़ाई का खर्च जुटाना उसके लिए मुश्किल हो गया। ऐसे में अपने दोस्तों के साथ मिलकर उसने…
संकलन: दीनदयाल मुरारकास्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एक मेहनती छात्र था हरबर्ट। एक वक्त आया जब उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई। पढ़ाई का खर्च जुटाना उसके लिए मुश्किल हो गया। ऐसे में अपने दोस्तों के साथ मिलकर उसने…