Sanjeev Singh
sanjeev.bsky.social
Sanjeev Singh
@sanjeev.bsky.social
Writer
उदासी/

जब भी अकेले
कहीं गुमसुम बैठे देखती है मुझको,
दबे पाँव चली आती है उदासी

गले में बाहें डाल
चूमती है माथे को
और कहती है - 'धप्पा, मेरी जान' !
June 16, 2023 at 3:26 AM
याद आई है तो फिर टूट के याद आई है
कोई गुज़री हुई मंज़िल कोई भूली हुई दोस्त

-अहमद फ़राज़
June 12, 2023 at 1:38 PM