सम्बन्ध वो भी हैं जो रिक्तियां बनाते हैं.....
अब इन्हें निभाया जाए या न निभाया जाए,यदि निभाया जाए तो कितना निभाया जाए,सब आप पर निर्भर है...
तो अपनी धारिता को परखिये।।
।।सहज,सुलभ और सतर्क रहिए।।
पिता के बाद..
आत्मा का रंग मटमैला हो जाता है..।।
पिता के बाद..
आत्मा का रंग मटमैला हो जाता है..।।
"आत्मा"
सूखी रोटी के समान हो जाती है
जो बार-बार झरती रहती है,पल पल टूटती रहती है।
आकाश,सागर,
फूल-पत्तियाँ सभी के रंगों का पता नहीं पर हाँ ....
सपनें धूमिल हो जाते और कुछ समय बाद....समाप्त।।
"आत्मा"
सूखी रोटी के समान हो जाती है
जो बार-बार झरती रहती है,पल पल टूटती रहती है।
आकाश,सागर,
फूल-पत्तियाँ सभी के रंगों का पता नहीं पर हाँ ....
सपनें धूमिल हो जाते और कुछ समय बाद....समाप्त।।